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हम मोटे अनाज श्री अन्न को देश के कोने-कोने में पहुंचाना चाहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

देहरादून

 

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की मोटे अनाज श्री अन्न को देश के कोने-कोने में पहुंचाने की पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राज्य में कोदा ,झंगोरा, रामदाना, राजमा, लाल चावल का उत्पाद बढेगा, और खरीद में तेजी आएगी!

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी का आज गुरुवार को उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ में भाषण में एक बिंदु श्री अन्न ( मिलेट्स) का भी था! उनका संकल्प है कि हम मोटे अनाज श्री अन्न को देश के हर कोने-कोने में पहुंचाना चाहते हैं। ये बड़े ही महत्वपूर्ण और गरिमामयी कथन है, क्योंकि इससे साफ़ हो जाता है कि सरकार श्रीअन्न की महत्ता और अन्नदाताओं की आमदनी दोगुनी करना चाहते हैं।

 

मिलेट्स, जिन्हें ‘मोटे अनाज’ के नाम से भी जाना जाता है, पूरे विश्व में पांचवें सबसे अधिक प्रमुख खाद्य स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण रखे जाते हैं। मिलेट्स का उच्च मान्यताप्राप्त प्रमुख स्रोत हैं, जो लोगों को स्वस्थ रखने और विभिन्न खाद्य संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।

 

मिलेट्स क्षेत्रीय कृषि में महत्वपूर्ण रूप से उगाए जाते हैं, और वे अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण पोषक अनाज के रूप में प्रयोग होते हैं। मिलेट्स में कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जैसे विटामिन (सी, अ, बी-कॉम्प्लेक्स, और विटामिन ई), मिनरल्स (फोस्फोरस, पोटैशियम, आयरन, और जिंक), प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट्स, और कार्बोहाइड्रेट्स।

अपनी पुरानी परंपरा एवं पारंपरिक खाद्य पदार्थों के कारण, मिलेट्स प्राकृतिक रूप से अनुकरणीय हो रहे हैं। फटो या वाइल्ड मिलेट, जो पूरे विश्व में सबसे प्राचीन मिलेट्स माने जाते हैं, विभिन्न आहार रूपों में प्रयोग होते हैं। दूसरे प्रमुख मिलेट्स में कोदा, झंगोरा, कोणी, रामदाना, राजमा, बाजरा, ज्वार, रगी, कांगनी, सोरगम, और कुतकी शामिल हैं। इसके अलावा, मिश्रित अनाज जैसे दलिया, थोसा चावल, और मिश्रित पालक जैसे खाद्य पदार्थ भी किया जाता हैं।

मिलेट्स के गुणों के कारण, ये भारतीय खाद्य परंपरा में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उत्तर भारतीय राज्यों में, बाजरा और ज्वार की विविधता उगाई जाती हैं और इन्हें खाना भी बनाया जाता है। ये अनाज न केवल पोषणपूर्ण होते हैं, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में लोगों के बीमारियों के लिए भी अत्यधिक प्रकार में प्रयोग हो रहे हैं।

मिलेट्स की खेती मात्र धान / गेहूं की खेती की तुलना में सस्ती और आसान होती है। इसके अलावा, मिलेट्स की खेती सस्ते सीड, कम जल, और कम उर्वरकों की आवश्यकता रखती है। इनके पक्षी और कीट से अधिक सुरक्षा के कारण भी इसकी खेती प्राथमिकता प्राप्त कर रही है।

मिलेट्स एक पूर्णपोषक विकल्प हैं, जो विभिन्न पोषण आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। ये खाद्यान्न के एक प्रमुख स्रोत के रूप में अधिक मूल्यपूर्ण फसल के रूप में प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं। महाद्वीपों की खेती और अर्थव्यवस्थाओं के विकास के लिए, मिलेट्स एक महत्वपूर्ण उपाय साबित हो रहे हैं। इनकी खेती न केवल उगाने वाले के प्रतिष्ठान पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रहा है, बल्कि छोटे किसानों और महिलाओं की आय का भी एक तात्पर्यपूर्ण स्रोत बन रहा है। इसलिए, हमें मिलेट्स को मान्यताप्राप्त विकल्प के रूप में पेश करना चाहिए, जो देश के स्वास्थ्य और आर्थिक उदारता को बढ़ावा मिले!

 

उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ( UCF) मोटे अनाज श्री अन्न को ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद एमपैक्स के माध्यम से क्रय केंद्रों, सार्वजनिक भंडारण स्थलों और नगरीय इलाकों में आपूर्ति की व्यवस्था के माध्यम से पहुंचा रहा है। इससे ग्रामीण और शहरी इलाकों में मोटे अनाज की आपूर्ति में सुधार हुआ है। इसके अलावा, यह पहाड़ी किसानों के लिए एक नया बाजार विकास का संकेत है जहां वे अपने उत्पादों को बेहतर मूल्य पर बेच रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप आर्थिक रूप से सुदृढ़ित हो रहे हैं।

राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत का फोकस मोटे अनाज को सीधे किसानों से खरीदने के लिए सभी पर्वतीय जिलों के साथ- साथ सीमांत जनपदों में ज्यादा है। उत्तराखंड राज्य के चमोली जनपद में सबसे ज्यादा मिलेट्स सहकारी समितियां के जरिये यूसीएफ ने खरीदा है। पिथौरागढ़ भी अपना एक स्थान रखता है।

भारत वर्ष 2023 मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है, श्री अन्न योजना के तहत पर्वतीय अंचलों के किसानों की आमदनी दोगुनी भी हुई है। जिस कोदा- झँगोरा को कोई पूछता नहीं था।
बिक्री का कोई साधन नहीं था, उसकी बिक्री पर उत्तराखंड को-ओपरेटिव ने पंख लगा दिए हैं। पर्वतीय किसानों को मोट अनाज का उचित मूल्य घर में ही मिल रहा है। आने वाले दिन मोटे अनाज के हैं। प्रधानमंत्री की श्री अन्न की बात कहने से राज्य में मिलेट्स उत्पाद, और खरीद में और तेजी आ सकती है।

 

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