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उत्तर प्रदेश ने उत्तराखंड के इस विभाग से मांगी तकनीकी मदद वरिष्ठ आईएएस के नेतृत्व में सात सदस्य दल पहुंचा आज उत्तराखंड

उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन कंप्लीट वैल्यू चैन मॉडल का अध्ययन करने उत्तर प्रदेश से वरिष्ठ आईएएस के नेतृत्व में 7 सदस्य दल पहुंचा उत्तराखंड

उत्तराखंड से सफल मॉडल स्थापित करने के लिए मांगे सुझाव

 

देहरादून

 

उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से 2000 में अलग होकर एक अलग राज्य बना था 25 वर्षों के उत्तराखंड में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन ने अपनी एक अलग पहचान और मार्केट वैल्यू बनाई है हालत यह है कि उत्तर प्रदेश रेशम संघ के द्वारा उत्तराखंड रेशम फेडरेशन से तकनीकी सहायता के लिए मदद मांगी गई थी ।

 

उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन प्रदेश में एक कंपलीट वैल्यू चैन पर कार्य कर रहा है आज फेडरेशन के कार्य की स्थिति यह है कि प्रदेश भर में आयोजित महाविद्यालय दीक्षांत समारोह और अन्य विशेष कार्यक्रमों में रेशम फेडरेशन द्वारा निर्मित पहाड़ी शैली टोपी, शॉल, स्टॉल, वैस्टकोट की दिन प्रतिदिन मांग बढ़ती जा रही है प्रदेश भर के मुख्य शहरों में रेशम फेडरेशन के उत्पादों की भारी डिमांड है कोऑपरेटिव फेडरेशन उत्तराखंड कोया उत्पादन से लेकर धागा उत्पादन और मार्केटिंग पैकेजिंग और डिजाइनिंग स्वयं करता है ऐसे में कंप्लीट वैल्यू चैन के रूप में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन अपनी एक अलग पहचान बना रहा है , उत्तर प्रदेश रेशम विभाग के द्वारा कुछ समय पूर्व उत्तराखंड से अपने राज्य में सफल मॉडल स्थापित करने के लिए तकनीकी सहयोग के लिए पत्र व्यवहार किया गया था जिसके तहत

आज मंगलवार उत्तराखंड को ऑपरेटिव रेशम फेडरेशन के मुख्यालय देहरादून में उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस एवं निदेशक रेशम विभाग उत्तर प्रदेश श्री सुनील कुमार वर्मा द्वारा अपने सात सदस्यीय अधिकारियों के साथ राज्य में स्थापित पूर्ण मूल्य श्रृंखला को समझना एवं कार्य प्रणाली की तकनीकी पहलुओं पर उत्तराखंड फेडरेशन एवं निदेशक रेशम के साथ विचार विमर्श हेतु अपनी एकदिवसीय अध्ययन भ्रमण पर देहरादून पहुंचे,

प्रबंध निर्देशक रेशम फेडरेशन उत्तराखंड श्री आनंद शुक्ल द्वारा निदेशक रेशम उत्तर प्रदेश एवं साथ में अन्य अधिकारियों को वर्तमान में फेडरेशन द्वारा अपनाया गए व्यावसायिक मॉडल के संबंध में विस्तार से बताया गया एवं फेडरेशन की संस्थागत एवं व्यावसायिक ढांचे के बारे में भी अवगत कराया गया।

निदेशक रेशम उत्तर प्रदेश श्री सुनील वर्मा जी द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य में उत्तर प्रदेश रेशम संघ किस प्रकार से सफल व्यावसायिक मॉडल स्थापित कर सकता है इस संबंध में सुझाव मांगे गए थे,
प्रबंध निदेशक रेशम फेडरेशन द्वारा निदेशक उत्तर प्रदेश को राज्य की विविधता एवं भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य में रेशम विभाग की गतिविधियों को पांच परीक्षेत्रों में विभाजित करते हुए सभी स्टेट होल्डर को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए कार्य योजना बनाने का सुझाव दिया गया एवं उत्तर प्रदेश राज्य में जिसमें वस्त्र बनाई की 1000 वर्षों का इतिहास है के परंपरागत बुनकरों को एक ब्रांड के नीचे लाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य का एक अंब्रेला ब्रांड स्थापित करने का भी सुझाव दिया गया साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य में वर्तमान में उपयोग में नहीं लाई जा रही पोस्ट को कौन गतिविधियों की समस्त स्थापना सुविधाओं का उपयोग धीरे-धीरे करते हुए दीर्घकालीन परियोजना पर कार्य करने का भी सुझाव दिया गया।
निदेशक रेशम उत्तर प्रदेश एवं उनकी टीम द्वारा उत्तराखंड में फेडरेशन द्वारा स्थापित पूर्ण मूल्य श्रृंखला एवं ब्रांड दून सिल्क की स्थापना एवं सफलता के लिए रेशम विभाग और फेडरेशन की पूरी टीम की प्रशंसा की गई।

इस अवसर पर निदेशक रेशम श्री प्रदीप कुमार, उप निदेशक उत्तर प्रदेश श्री एसपी सिंह, उपनिदेशक रेशम जम्मू कश्मीर, वैज्ञानिक डी भारत सरकार सुरेन्द्र भट्ट, सहायक निदेशक रेशम श्री विनोद तिवारी, रविंद्र कृष्णा फेडरेशन श्री मातबर कंडारी, प्रशासनिक अधिकारी श्री विनोद कुमार आदि उपस्थित थे

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