उत्तराखंडदेहरादून

बिग न्यूज़ : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस मीडिया संस्थान के लिए कही यह बात…

देहरादून : उत्तराखंड के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश रावत विपक्ष में रहते हुए अक्सर सत्ता पक्ष की तारीफ कर चर्चा में रहते हैं

अब इन दिनों मीडिया कवरेज कम मिलने के कारण एक मीडिया संस्थान के खिलाफ मुखर हो गए हैं सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने इस मीडिया संस्थान के बहिष्कार की घोषणा कर दी है देखिए क्या लिखा हरीश रावत ने

मुझे अत्यधिक दुःख के साथ एक माह तक news18uttarakhand के बहिष्कार का निर्णय लेना पड़ रहा है। मैं एक माह तक इनके संवाददाताओं से न बात करूंगा, न मैं चैनल देखूंगा।

मेरे ट्वीट्स या फेसबुक पोस्ट से सेलेक्टिव तरीके से कुछ शब्दों को लेकर एक झूठ गढ़ा गया है और परोसा गया है। यूं यह चैनल अतीत में भी एकाध बार मीडिया एथिक्स का उल्लंघन कर चुका है। ट्वीट हो या पोस्ट, जो कुछ आप लिखते हैं एक सेंटेंस-दूसरे सेंटेंस को पूरक बनाता है और उससे पूरे ट्वीट या पोस्ट की भावना स्पष्ट होती है। यदि news18 में नैतिक साहस है तो मेरे सारे ट्वीट्स या पोस्ट को चैनल में दिखाये और जो आलोचनात्मक बातें भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के संदर्भ में लिखी हैं उनको भी लोगों तक पहुंचाएं।

कांग्रेस के कथित प्रवक्तागणों से भी मेरा आग्रह है कि घोषित गोदी मीडिया द्वारा दिखाये व पूछे जा रहे किसी भी प्रश्न को अपनी पार्टी के उस कार्यकर्ता से पूछ लेना चाहिए, जिसकी कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में अविकल कार्य अवधि उनकी कार्य अवधि से कम से कम तीन या चार गुना अधिक होनी चाहिए। पार्टी के प्रवक्ता गणों का दायित्व, पार्टी व पार्टी के प्रत्येक स्तर के नेता को इस प्रकार के दुष्प्रचार से बचाना है। मुझे आश्चर्य नहीं है कि प्रवक्ता गणों ने मेरे पोस्ट या ट्वीट्स शायद देखे और पढ़े नहीं हैं।

मैं, उत्तराखंड के समस्त मीडिया जगत से क्षमा चाहता हूं कि उनके एक सम्मानित हिस्से के खिलाफ मुझे इतनी कठोर टिप्पणी करनी पड़ी है। मेरे सार्वजनिक जीवन का यह इस प्रकार की पहली प्रतिक्रिया है। सामान्यतः कोई बयान तोड़ा-मरोड़ा भी जाता है या अपनी तरफ से संवाददाता भावार्थ लिख देते हैं उस स्थिति में भी मैंने कभी खंडन जारी नहीं किया है और हमेशा उस बात को हंस कर टाला है और उनके उच्च स्तर पर कभी भी शिकायत नहीं की है। यदि कभी की होगी तो उनकी प्रशंसा की होगी। मीडिया में मेरे दोस्तों की बहुत बड़ी संख्या है। वह मेरे सार्वजनिक जीवन की पूंजी हैं। मगर यदि चुनिंदा तौर पर एक दुष्प्रचार को उठाया जाएगा तो फिर चुप रहना भी वैचारिक कायरता होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button