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मशरूम उत्पादन से बदली तक़दीर, अब हर महीने 18 हजार कमा रहीं माहेश्वरी देवी

(सफलता की कहानी)

कार्यालय जिला सूचना अधिकारी, पौड़ी गढ़वाल।
26 जून, 2025

मशरूम उत्पादन से बदली तक़दीर, अब हर महीने 18 हजार कमा रहीं माहेश्वरी देवी

धरीगांव की महिला ने ग्रामोत्थान परियोजना से सीखा स्वरोजगार का हुनर

पौड़ी गढ़वाल के खिर्सू ब्लॉक स्थित छोटे से गांव धरीगांव की माहेश्वरी देवी कभी रोज़गार के अभाव में मजदूरी कर किसी तरह परिवार चला रही थी। सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। ग्रामोत्थान परियोजना से जुड़कर और मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लेकर उन्होंने न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिये भी प्रेरणा बन गयी। आज वह हर महीने 18 हजार रुपये तक की आमदनी कर रही हैं और स्वरोजगार की मिसाल बन चुकी हैं।

मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने बताया कि लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी माहेश्वरी देवी को ग्राम पंचायत धरीगांव में ग्रामोत्थान और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से 10 दिवसीय ढींगरी मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, जाखधार (गुप्तकाशी) में भी तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने मशरूम उत्पादन को ही अपना व्यवसाय बनाने का निश्चय किया।
ग्रामोत्थान परियोजना के तहत चयन प्रक्रिया के बाद माहेश्वरी देवी के लिये 2.59 लाख रुपये का बिजनेस प्लान तैयार किया गया। जिसमें से 1 लाख रुपये का बैंक लोन, 75 हजार रुपये परियोजना से सहयोग और 84,514 रुपये उनकी स्वयं की भागीदारी रही।

माहेश्वरी देवी ने मशरूम उत्पादन की शुरुआत 130 बैग से की। पहले ही महीने में 220 किलो मशरूम तैयार हुआ, जिसे उन्होंने 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचकर कुल 44 हजार रुपये की आमदनी की। इस उत्पादन से उन्हें करीब 30 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ। अब नियमित रूप से मशरूम उत्पादन कर रही माहेश्वरी देवी को हर महीने औसतन 18 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। माहेश्वरी बताती हैं कि ग्रामोत्थान परियोजना के आने से समूह की महिलाओं में जागरुकता और आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ी है। वह अब अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी स्वरोजगार की राह पर चलने को प्रेरित कर रही हैं। माहेश्वरी देवी ने परियोजना से मिले सहयोग, तकनीकी जानकारी और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह योजना गांव की महिलाओं के लिए एक नई रोशनी लेकर आई है। वह चाहती हैं कि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण इसका लाभ उठाकर अपने पैरों पर खड़े हों।

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