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आज इसलिए मनाते है ‘अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस’, जानिए इसका महत्व भी

 

सहकारिता का तात्पर्य सहभागिता है। आसान शब्दों में कहें तो, मिलजुल कर काम करने को सहकारिता कहा जाता है। साथी हाथ बढ़ाना के मकसद से समस्त मानव जगत का कल्याण करना है। इसे लेकर ही अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस 6 जुलाई को मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस’ (International Day Of Cooperative 2024) हर साल जुलाई के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इस वर्ष, 102 वां अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस (#CoopsDay) शनिवार, 6 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा। जिसका विषय है “सहकारिताएँ सभी के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करती हैं।”

 

आपको जानकारी के लिए बता दे, सहकारिता का तात्पर्य सहभागिता है। आसान शब्दों में कहें तो, मिलजुल कर काम करने को सहकारिता कहा जाता है। साथी हाथ बढ़ाना के मकसद से समस्त मानव जगत का कल्याण करना है।

 

जानिए इस दिवस से जुड़ी खास बातें

आज अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर आइए जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-

 

जानकारों के अनुसार, इसे पहली बार साल 1923 में मनाया गया था। साल 1995 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक प्रस्ताव पेश कर जुलाई महीने के पहले शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस मनाने की पहल की। इसे सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से पास कर दिया। वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस दुनियाभर में एक साथ मनाया जाता है।

 

‘अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस’ का महत्व

इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सहकारी समितियों को लोकप्रिय बनाना तथा विश्वव्यापी एकजुटता, आर्थिक दक्षता, समानता और वैश्विक शांति के सहकारी आंदोलन के सिद्धांतों को आगे बढ़ाना है।

यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र द्वारा संबोधित प्रमुख समस्याओं के समाधान के लिए सहकारी आंदोलन के योगदान पर प्रकाश डालता है।

यह अंतर्राष्ट्रीय सहकारी आंदोलन और अन्य हितधारकों के बीच साझेदारी को भी मजबूत और विस्तारित करता है।

सहकारी समितियां ऐसे संगठन और उद्यम हैं जिनमें लोग एक साथ आते हैं और अपने समुदाय और राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उन्नति में योगदान करते हुए अपने जीवन को प्रभावी ढंग से बेहतर बनाते हैं।

सहकारी समितियाँ स्वास्थ्य, कृषि, उत्पादन, खुदरा, वित्त, आवास, रोजगार, शिक्षा, सामाजिक सेवाओं आदि जैसे क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

सहकारी समितियां बाह्य समानता को बढ़ावा देती हैं, समुदाय आधारित होती हैं तथा अपने समुदायों के पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध होती हैं।

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