Uttrakhandक्राइम

आखिर क्या लिखा है अधिकारियों के सस्पेंशन लेटर में क्यों किये दो IAS एक पीसीएस अधिकारी सस्पेंड यह है पूरा मामला पढ़िए विस्तार से

देहरादून

 

15 करोड़ की ज़मीन 54 करोड़ मे खरीदने वाले 2 IAS एक PCS अधिकारी सस्पेड..

IAS चंद्रेश यादव और पंकज पांडे के बाद दो IAS पांच साल मे एक साथ सस्पेंड..

 

 

 

 

हरिद्वार में बहुचर्चित जमीन घोटाले में धामी सरकार ने दोनों बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर दी है. डीएम कामेंद्र सिंह और आईएएस वरुण चौधरी को निलंबित कर दिया गया है.

 

 

 

आईएएस अधिकारी कर्मेंद्र सिंह

 

 

आईएएस अधिकारी वरुण चौधरी

 

पीसीएस अधिकारी अजय वीर सिंह

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में हुए 2 हेक्टेयर से ज्यादा के भूमि खरीद घोटाले में जिलाधिकारी पर गाज गिर गई है. शहरी विकास विभाग ने प्रारंभिक जांच के लिए आईएएस रणवीर सिंह चौहान को जांच अधिकारी बनाया था. जांच अधिकारी ने अपनी जांच में हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह जो नगर निगम के प्रशासन भी थे, उनको अपने पदीय दायित्वों की अनदेखी करने, प्रशासक के रूप में भूमि की अनुमति प्रदान करते हुए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने और नगर निगम के हितों को ध्यान में नहीं रखने, शासनादेशों की अनदेखी करने एवं नगर निगम अधिनियम 1959 की सुसंगत धाराओं का उल्लंघन करने का प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया है
इसके बाद उनके खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. इसके साथ ही राज्यपाल की ओर से आईएएस कर्मेंद्र सिंह के खिलाफ अनुशासनिक/कार्रवाई करने की स्वीकृति भी दे दी गई है.

 

हरिद्वार जमीन घोटाले में धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई ! 2 IAS और 1 PCS अफसर समेत कुल 12 लोग सस्पेंड

डीएम, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त पर भी गिरी गाज, अब विजिलेन्स करेंगे जमीन घोटाले की जांच

उत्तराखंड में पहली बार ऐसा हुआ है कि सत्ता में बैठी सरकार ने अपने ही सिस्टम में बैठे शीर्ष अधिकारियों पर सीधा और कड़ा प्रहार किया है। हरिद्वार ज़मीन घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लिए गए निर्णय केवल एक घोटाले के पर्दाफाश की कार्रवाई नहीं, बल्कि उत्तराखंड की प्रशासनिक और राजनीतिक संस्कृति में एक निर्णायक बदलाव का संकेत हैं।

हरिद्वार नगर निगम द्वारा कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त और सस्ती कृषि भूमि को 54 करोड़ रुपये में खरीदने के मामले ने राज्यभर में हलचल मचा दी थी। न तो भूमि की वास्तविक आवश्यकता थी, न ही पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाई गई। शासन के स्पष्ट नियमों को दरकिनार कर एक ऐसा सौदा किया गया जो हर स्तर पर संदेहास्पद…
जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई, वे हैं:

कर्मेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी (डीएम), हरिद्वार: भूमि क्रय की अनुमति देने और प्रशासनिक स्वीकृति देने में उनकी भूमिका संदेहास्पद पाई गई।

वरुण चौधरी, पूर्व नगर आयुक्त, हरिद्वार: उन्होंने बिना उचित प्रक्रिया के भूमि क्रय प्रस्ताव पारित किया और वित्तीय अनियमितताओं में प्रमुख भूमिका निभाई।

अजयवीर सिंह, एसडीएम: जमीन के निरीक्षण और सत्यापन की प्रक्रिया में घोर लापरवाही बरती गई, जिससे गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंची।

इन तीनों अधिकारियों को वर्तमान पद से हटाया गया है और शासन स्तर पर आगे की विभागीय और दंडात्मक कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। यह केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री की शून्य सहनशीलता की नीति का स्पष्ट प्रमाण है। इसके साथ ही निकिता बिष्ट (वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार), विक्की (वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक), राजेश कुमार (रजिस्ट्रार कानूनगों), कमलदास (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार को भी जमीन घोटाले में संदिग्ध पाए जाने पर तुरंत प्रभाव से निलंबित किया है।

अब तक ये हो चुकी कार्रवाई

जांच अधिकारी नामित करने के बाद इस घोटाले में नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट व अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया था। संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार भी समाप्त कर दिया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सेवा विस्तार दिया गया था। उनके खिलाफ सिविल सर्विसेज रेगुलेशन के अनुच्छेद 351(ए) के प्रावधानों के तहत अनुशासनिक कार्रवाई के लिए नगर आयुक्त को निर्देश दिए गए थे।
NH -74 घोटाले में पंकज पांडे और चंद्रेश यादव सस्पेंड किए गए थे हालांकि बाद में दोनों बहाल हो गए और अब मजबूत पोजिशन पर पहुँच चुके हैँ देखने वाली बात यह है कि आज सस्पेंड किए गए यह तीन अधिकारी कितने समय तक सस्पेंड रहते हैं…

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button