यह घटना ऋषिकेश साईंघाट के पास की है जहाँ कुछ दिन पूर्व एक व्यक्ति के डूबने की सूचना पर SDRF टीम मय राफ्ट के घटनास्थल के आसपास के स्थानों पर सर्चिंग कर रही थी जबकि पैरामेडिक्स अमित नदी के किनारे अन्य बचाव उपकरणों के साथ खड़ा हुआ था। उसी दौरान निम बीच पर किसी के चीखने चिल्लाने की आवाज पर अमित का ध्यान गया।
निम बीच पर एक युवक व युवती गंगा के तेज प्रवाह की चपेट में आ गए थे व बचाने के लिए चीखपुकार कर रहे थे। उधर SDRF टीम जो सर्चिंग में व्यस्त थी, ने तुरंत डूबने वालों की तरफ राफ्ट बढ़ाई, इधर किनारे पर खड़े SDRF के पैरामेडिक्स अमित ने मौके की संवेदनशीलता को भांपते हुए बिना देरी किये लाइफ जैकेट पहनकर थ्रो बैग के साथ नदी में छलांग लगा दी।
क्षण भर की देरी भी डूबने वाले के लिए घातक हो सकती थी। विद्युत गति से अमित तैरते हुए उन तक पहुँचा और दोनों को धीरे-धीरे सहारा देते हुए किनारे की ओर लाने लगा तब तक SDRF की टीम भी राफ्ट से उन तक पहुँच गयी। जिसके बाद दोनों को सकुशल निकालकर किनारे लाया गया।
उक्त रेस्क्यू कार्य में पैरामेडिक्स अमित कुमार ने अपना कर्तव्य पालन करते हुए सूझबूझ के साथ अतिरिक्त जोखिम लेकर कठिन रेस्क्यू कार्य को सकुशल संपादित करने में अहम भूमिका निभाई जिसके लिये मणिकांत मिश्रा, सेनानायक SDRF द्वारा इन्हें ”मैन ऑफ द मंथ”से सम्मानित किया गया।