उत्तराखंडदेहरादून

पैठाणी के खंडगांव में धूमधाम से संपन्न हुआ मां नंदा देवी पति का मेला रोखड़ा गांव का पंकज नेगी रहा विजेता…

पौड़ीगढ़वाल/ पैठानी 

कुलदीप रावत :

आज सोशल मीडिया में पैठाणी क्षेत्र खंड गांव का महानंदा देवी पती मेला खूब सुर्खियों में रहा लगभग हजारों की संख्या में सोशल मीडिया यूजर्स इस मेले को लाइव दिखा रहे थे और 20,000 से भी अधिक संख्या में श्रद्धालु इस मेले में जुटे हुए थे।

फोटो और वीडियो ग्राफी सौजन्य हिमालय फोटो स्टूडियो पैठाणी

 

पुलिस की सुरक्षा में आज यह मेला धूमधाम से संपन्न हुआ

राठ क्षेत्र के विभिन्न गांव के युवाओं की जोर आजमाइश का सिलसिला खूब देखने को मिला इस मेले को देखने के लिए क्षेत्रीय युवा अन्य राज्यों से आज गांव को पहुंचे थे और इस मेले के साक्षी बने जो किसी कारणवश मेले में नहीं पहुंच पाए वह सभी सोशल मीडिया में इस पूरे वीडियो को लाइव देख रहे थे,

पूरे मेले की कवरेज ड्रोन कैमरेके द्वारा

लगभग 3 घंटे की जोर आजमाइश के बाद रोकड़ा गांव वासियों ने इस मेले में विजय प्राप्त की

 

क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड डॉक्टर धन सिंह रावत ने अपने सोशल मीडिया फेसबुक पेज पर वीडियो अपलोड करते हुए समस्त क्षेत्र वासियों को इस मेले की शुभकामनाएं दी कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने मेले के विजेता रोखड़ा ग्रामीण वासी पंकज नेगी को शुभकामनाएं और उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बधाई दी

 

उत्तराखंड लोक पर्वों व मेलों में से प्रमुख नंदा देवी मेला के  पौड़ी जिले के कई गांवों में मनाया जाने वाला एक मेला है मां नंदा देवी पाती मेला जिसे पत्ती मेला भी कहा जाता है।

परमपराओं के अनुसार गांव के पंचायत भूमि पर ही इस मेले का आयोजन होता है। यह मेला ताकत और साहस का परिचय भी देता है। इस मेले के स्वरूप को कुछ-कुछ महाराष्ट्र में होने वाले दही हांडी पर्व से समझा जा सकता है।

इस मेले में चीड़ के एक लंबे पेड़ के सारे तनों को काटकर पेड़ को एक लंबे डंडे में तब्दील किया जाता है, फिर उसमें तेल मक्खनऔर सेमल लगाकर उसे चिकनाई दी जाती है। और बाद में डंडे के ऊपरी हिस्सों में अनाज, चूड़े, फल ककड़ी आदि स्थानीय उत्पाद बांधे जाते है। जिसे पत्ती या पाती कहा जाता है। जो भी डंडे में ऊपर चढ़कर इन पातियो को लूटता है वह विजेता घोषित होता है। पर यह डंडे में चढ़ने की यह राह आसान नहीं होती। एक तो डंडे में चिकनाई और उस पर चढ़ रहे प्रतिभागियों पर पानी, या साबुन का पानी फेंककर उनकी राह कठिन बनाई जाती है। इस मेले में लोगों का उत्साह देखते ही बनता है।

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